रेलवे की धारा 138 क्या है?

भारतीय रेलवे अधिनियम, 1989 में विभिन्न धाराएं दी गई हैं, जो रेलवे के संचालन, सुरक्षा, टिकटिंग, दंड, अपराध आदि से संबंधित हैं।

Jun 28, 2025 - 18:08
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रेलवे की धारा 138 क्या है?

बिना उचित पास या टिकट के या अधिकृत दुरी से ज्यादा यात्रा करने पर अतरिक्त शुल्क और किराया बसूलना।

भारतीय रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत धारा 137 और धारा 138 दोनों ही बिना टिकट यात्रा से संबंधित हैं, लेकिन दोनों की स्थिति और दंड अलग-अलग होते हैं।

 

रेलवे की धारा 138 और धारा 137 में अंतर

 

धारा 137 टिकट प्राप्त करने के लिए धोखाधड़ी

यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर धोखाधड़ी या झूठ बोलकर टिकट प्राप्त करने की कोशिश करता है, तो यह धारा 137 के अंतर्गत अपराध है।

 

दंड:

6 महीने तक की कैद या

1,000 रुपये तक का जुर्माना, या

दोनों

 

उदाहरण:

झूठी पहचान बताकर रियायत वाला टिकट लेना

नकली दस्तावेज़ देकर टिकट लेना

टिकट लेने के लिए गलत जानकारी देना

 

धारा 138 बिना टिकट यात्रा करना

यदि कोई व्यक्ति टिकट लिए बिना या किसी गलत टिकट पर ट्रेन में यात्रा करता है, तो यह धारा 138 के तहत आता है।

 

दंड:

वास्तविक किराया +

अधिकतम 250 जुर्माना (या जितना किराया बनता हो, दोनों में से जो अधिक हो)

यदि वह यात्री जुर्माना देने से मना करता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और कोर्ट में पेश किया जाता है।

 

उदाहरण:

बिना टिकट ट्रेन में चढ़ना

सामान्य टिकट लेकर रिज़र्व्ड कोच में यात्रा करना

किसी और का टिकट इस्तेमाल करना

 

महत्वपूर्ण जानकारी:

टिकट चेकिंग अधिकारी (TTE) को यह अधिकार होता है कि वो बिना टिकट यात्री को अगले स्टेशन पर उतार दे या जुर्माना वसूल करे।

यदि यात्री भुगतान नहीं करता, तो उसे न्यायिक दंड मिल सकता है।