ई-वोटिंग वाला भारत का पहला राज्य बिहार बना
बिहार ई-वोटिंग ऐप भारत का पहला राज्य स्तरीय डिजिटल वोटिंग प्लेटफॉर्म है, जिसे बिहार चुनाव आयोग ने लॉन्च किया है। यह पात्र मतदाताओं को स्मार्टफोन का उपयोग करके घर से ही अपना वोट डालने की सुविधा देता है, जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों और अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहने वालों के लिए फायदेमंद है।
बिहार ई-वोटिंग ऐप भारत का पहला राज्य स्तरीय डिजिटल वोटिंग प्लेटफॉर्म है, जिसे बिहार चुनाव आयोग ने लॉन्च किया है। यह पात्र मतदाताओं को स्मार्टफोन का उपयोग करके घर से ही अपना वोट डालने की सुविधा देता है, जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों और अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहने वालों के लिए फायदेमंद है।
बिहार राज्य चुनाव आयोग ने शनिवार को देश में पहली बार ई-वोटिंग का उपयोग करके नगर निकाय चुनाव और उपचुनाव कराकर इतिहास रच दिया। इसमें चुनाव के लिए पंजीकृत 80.60 प्रतिशत मतदाताओं ने घर से और राज्य के बाहर मोबाइल के जरिए मतदान किया। जबकि, उपचुनाव में 58.38 प्रतिशत मतदाताओं ने मोबाइल के जरिए मतदान किया।
चुनाव और उपचुनाव में मोबाइल के जरिए औसतन 69.49 प्रतिशत मतदान हुआ। चुनाव में केवल 54.63 प्रतिशत मतदाताओं ने ईवीएम के जरिए बूथों पर जाकर मतदान किया। अब 30 जून को सुबह 8 बजे से मतगणना होगी।
मुख्य बिंदु:-
बिहार ने देश में पहली बार शहरी निकाय चुनावों में ई-वोटिंग प्रणाली लागू करने की ऐतिहासिक पहल की है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के समावेश और मतदाता भागीदारी को बढ़ावा देगी।
ई-वोटिंग प्रणाली का शुभारंभ
बिहार राज्य चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि 28 जून 2025 को होने वाले आगामी नगर निगम और शहरी निकाय चुनावों में मोबाइल आधारित ई-वोटिंग प्रणाली लागू की जाएगी।
यह बदलाव आधुनिक तकनीक के माध्यम से मतदान को और अधिक आसान, सुलभ और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ई-वोटिंग ऐप और डेवलपर संस्थान
पूरी मतदान प्रक्रिया दो मोबाइल एप्लिकेशन की मदद से संचालित की जाएगी:
ई-वोटिंग SECBHR ऐप - सी-डैक द्वारा विकसित
दूसरा ऐप - बिहार राज्य चुनाव आयोग द्वारा विकसित
यह ऐप एंड्रॉइड आधारित है।
रिमोट वोटिंग: नागरिक मतदान केंद्रों पर शारीरिक रूप से जाए बिना मतदान कर सकते हैं।
चेहरे की पहचान: मतदाता सत्यापन के लिए चेहरे की पहचान का उपयोग करता है।
सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड: ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके डेटा गोपनीयता और चुनाव अखंडता सुनिश्चित करता है।
पायलट लॉन्च: पूर्ण पैमाने पर रोलआउट से पहले चुनिंदा शहरी क्षेत्रों में शुरू में परीक्षण किया गया।
उद्देश्य:
मतदाता मतदान में वृद्धि करना, रसद लागत को कम करना और मतदान प्रक्रिया को अधिक सुलभ और तकनीक-अनुकूल बनाना।