भारत के प्राचीन विश्वविद्यालयों के नाम
भारत के प्राचीन विश्वविद्यालयों के नाम
नालंदा विश्वविद्यालय - भारत के प्राचीन मगध (आधुनिक बिहार) में स्थित एक प्रसिद्ध महाविहार था। यह 5वीं शताब्दी ईस्वी से 12वीं शताब्दी ईस्वी तक शिद्वाा का एक प्रमुख केन्द्र था। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है इसकी स्थापना गुप्त सम्राट कुमारकुप्त द्वारा की गई। दुनिया का पहला अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय था यह बौद्ध शिक्षा के लिए प्रसिद्ध था।
तक्षशिला विश्वविद्यालय - तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान के गांधार क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन शिक्षा केन्द्र था। इसकी स्थापना 600 ई. र्पू. में हुई, तक्षशिला को कटस्टीन का शहर भी कहते है दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी थी यहां 16 वर्ष की आयु में प्रवेश मिलता था।
विक्रम शिला विश्वविद्यालय - विक्रम शिला विश्वविद्याय वर्तमान बिहार, भारत में स्थित एक प्राचीन महाविहार या बौद्ध मठ विश्वविद्यालय था। इसकी स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 8वीं शताब्दी के अंत या 9वीं शताब्दी के प्रारंभ में की थी, विश्वविद्यालय का केन्द्रीय स्थल एवं क्रूसिफॉर्म ईट स्तूप था।
कन्यकुब्ज विश्वविद्यालय - जिसे कन्याकुब्ज कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज एंड मैनेजमेंट के नाम से भी जाना जाता है, इंदौर मध्यप्रदेश में स्थित एक उच्च शिक्षा संस्थान है।
वल्लभी विश्वविद्यालय - वल्लभी विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी ईस्वी में मैत्रक वंश के संस्थापक सेनापति भट्टारक ने की थी, यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित था, यह विश्वविद्यालय अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध था, खासकर बौद्ध शिक्षा के क्षेत्र में।
जगद्धला विश्वविद्यालय - यह पश्चिम बंगाल में स्थित था और इसे पाल राजा रामपाल द्वारा स्थापित किया गया था। 11वीं शताब्दी के अंत में स्थापित यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म में अपने विद्वप्तापूर्ण योगदान के लिए जाना जाता था। इसे विष्वती भाषा में ग्रंथों के अनुवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पुष्पगिरि- पुष्पगिरि विश्वविद्यालय भारत का महत्वपूर्ण प्राचीन विश्वविद्यालय तथा तीसरी से ग्यारहवी शताब्दी तक एक प्रसिद्ध बौद्ध शिक्षा केन्द्र था। यह पूर्वी भारत में वर्तमान ओडिशा में स्थित था।
मिथिला- प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों में अद्वितीय था क्योंकि यह बौद्ध मठ से जुड़ा नहीं था। लगभग 12वीं शताब्दी से शुरू होकर यह शिक्षा की एक सतत परम्परा का हिस्सा बन गया। यह महान विद्वानों के घरों के आसपास केन्द्रित था।
शारदा पीठ विश्वविद्यालय- यह पाकिस्तान प्रशास्ति कश्मीर की नीलम घाटी में स्थित एक प्राचीन शिक्षा केन्द्र और हिन्दु देवी शारदा को समर्पित एक मंदिर था यह छठी और बारहवीं शताब्दी के बीच एक प्रमुख मंदिर विश्वविद्यालय था। यह शारदा लिपि से जुड़ा हुआ था।
ओदंतपुरी- यह बिहार में स्थित था, इसे पाल वंश के राजा गोपाल द्वारा स्थापित किया गया था यह बिहार में 8वीं से 12वीं शताब्दी तक अस्तित्व में था। यह अपने समय में बौद्ध शिक्षा और दर्शन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था।
कंथलूरशाला- यह केरल में स्थित था इसे दक्षिण का नालंदा कहा जाता था जिसेकंदलूर सलाई के नाम से भी जाना जाता है। यह वलियासला के आसपास किल्ली नदी के पास स्थित है यह 9वीं और 12वीं श्ाताब्दी के बीच फला-फूला ।
कांचीपुरम- इसे चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती विश्वविद्यालय (SCSYMV) के नाम से जाना जाता है। यह एक डीम्ड-टू-वी यूनिवर्सिटी है इसे प्राचीन काल में इसे घटिकास्थान या सीखने का स्थान कहा जाता था। यह पहली और पांचवी शताब्दी के बीच जैन और बौद्ध धर्म के लिए प्रमुख शैक्षिक केन्द्र था।
मणिखेत- मणिखेत शब्द मणिक्यपुर शहर को प्रदर्शित करता है जो प्राचीनकाल में शिखा का महत्वपूर्ण केन्द्र था यह कश्मीर क्षेत्र में स्थित था। यह शिक्षा और ज्ञान का प्रमुख केन्द्र था। यह प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक नहीं था फिर भी शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान था।
नागार्जुन विद्यापीठ- यह लगभग 600 ई में कृष्णा नदी के तट पर विकसित हुई। इस संस्थान ने बौद्ध दर्शन और विभिन्न वैज्ञानिक विषयों में रूचि रखने वाले छात्रों का बहुत ध्यान आकर्षित किया।